वक़्त है क्या तुमको पता हैं ना
सो गयी रात जाके दिन है अब जाग उठा
आँखें मसलता है सारा यह समा
आवाज़ें भी लेती है अंगड़ाइयाँ
सब दिशाओं से आ रही है सदा
जो भी सही तुमको लगे चुन लो
यह सोच लो तुम को जाना है कहाँ
सब दिशाओं से आ रही है सदा
आज भी देखो कल जैसा ही ना हो
आज भी यूँ ना तुम सोते ही रहो
इतने क्यूँ सुस्त हो कुछ कहो कुछ सुनो
रो पडो या हसो ज़िंदगी में कोई ना कोई रंग भरो
सब दिशाओं से आ रही है सदा
सब दिशाओं से आ रही है सदा
सब दिशाओं से आ रही है सदा
WRITERS
JAVED AKHTAR, SHANKAR MAHADEVAN, ALOYIUS MENDONSA, EHSAAN NOORANI, Aloyius Peter Mendonsa