शुरू शुरू हो जाए अपनी कविता की नोक झोंक
भाई दरिया पुल में चलता है
वहाँ पानी में रेलें चलती थीं
वहाँ पानी में रेलें चलती थीं
अंगूरों की बेलें पकती थीं
अंगूरों की बेलें पकती थीं
वाह वाह भाई वाह वाह भाई वाह वाह वाह
और ओस गिरे तो वहाँ कहते हैं
खेंचे हो के दानो में अच्छा तो ये बात थी तो सुनो गुरु
रोज कई काने बिचारे मरते थे बिमारी में
उस वक्त उल्लू का पठा राजा सोता था
जब कानि भैंस से फूल फुलाकर जड़ा बीन का बाजा
जब काला चस्मा पहन के सीधा वन पे आया राजा
आया राजा आया राजा आया राजा
दर्द भरी फ़रियाद से उसकी आंखे पानी पानी थी
तब से खाता मेरा जाकी दोनों और हिसानी थी
ये झूठा हे जो अंधी नगरी काना राजा कहता हे
ये जाकर देखो कानि नगरी वाह वाह वाह
झूठा हे जो अंधी नगरी काना राजा कहता हे
झूठा हे जो अंधी नगरी काना राजा कहता हे
ये जाकर देखो कानि नगरी अँधा राजा रहता हे
झूठा हे जो अंधी नगरी काना राजा कहता हे
झूठा हे जो अंधी नगरी काना राजा कहता हे