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शुरू शुरू हो जाए अपनी कविता की नोक झोंक

कानून की एक नगरी देखी
जिसमें सारे काने थे
कानून की एक नगरी देखी
जिसमें सारे काने थे
एक तरफ से काने सारे
एक तरफ से सयाने थे
हो कानून की
कानून की एक नगरी देखी
जिसमें सारे काने थे

भाई दरिया पुल में चलता है
वहाँ पानी में रेलें चलती थीं
वहाँ पानी में रेलें चलती थीं
हर लंगूरो की दुम पर
अंगूरों की बेलें पकती थीं
अंगूरों की बेलें पकती थीं
हां चूहे घंटी बांध के
बिल्ली से दौड़ लगाते थे
बिल्ली से दौड़ लगाते थे
खाली पेट पर हाथ बजाकर
सब कंगाली गाते थे
वाह वाह भाई वाह वाह भाई वाह वाह वाह
चाँदनी रात में छाता लेकर
बाहर जाया करते थे
बाहर जाया करते थे
और ओस गिरे तो वहाँ कहते हैं
सिर फट जाया करते थे
कानून की
कानून की एक नगरी देखी
जिसमें सारे काने थे

छूत की एक बीमारी फैली
हाय हाय वाह गुरु वाह
एक दफा उन कानो में
सुनते हे की भूख के कीड़े
खेंचे हो के दानो में अच्छा तो ये बात थी तो सुनो गुरु
रोज कई काने बिचारे मरते थे बिमारी में
उस वक्त उल्लू का पठा राजा सोता था
कहाँ कहाँ कहाँ कहाँ
सोने की अलमारी में
जब कानि भैंस से फूल फुलाकर जड़ा बीन का बाजा
जड़ा बीन का बाजा
जब काला चस्मा पहन के सीधा वन पे आया राजा
आया राजा आया राजा आया राजा
दर्द भरी फ़रियाद से उसकी आंखे पानी पानी थी
आंखे पानी पानी थी
तब से खाता मेरा जाकी दोनों और हिसानी थी
कानो की कानो की
कानून की एक नगरी देखि
जिसमे सारे काने थे
कानून की एक नगरी देखि
जिसमे सारे काने थे

ये झूठा हे जो अंधी नगरी काना राजा कहता हे
ये जाकर देखो कानि नगरी वाह वाह वाह
अँधा राजा रहता हे
झूठा हे जो अंधी नगरी काना राजा कहता हे
झूठा हे जो अंधी नगरी काना राजा कहता हे
ये जाकर देखो कानि नगरी अँधा राजा रहता हे
झूठा हे जो अंधी नगरी काना राजा कहता हे
झूठा हे जो अंधी नगरी काना राजा कहता हे

WRITERS

Gulzar, Vasant Desai

PUBLISHERS

Lyrics © Royalty Network

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