मिलो की अब दूरी हैं हो जहाँ भी तुम क्या हो खुश
रह गयी अधूरी हैं अपनी कहानी क्या हो खुश
तलाशे थे जो क्या मिला तुम्हे क्या हो खुश
मिलो की अब दूरी हैं हो जहाँ भी तुम क्या हो खुश
मिलो की अब दूरी हैं हो जहाँ भी तुम क्या हो खुश
खुश थी मैं जैसी भी थी, मंज़िल ना सही, सपने तो थे मेरे
उड़ते पंछी जैसे दिन मस्त हवाओं सी थी शामे मेरी
खुल की जीने की आदत थी मुझे
मोके हज़ारों थे मिले (मोके हज़ारों थे मिले)
ना जाने फिर क्यों खो गये (ना जाने फिर क्यों खो गये)
मिलो की अब दूरी हैं हो जहाँ भी तुम क्या हो खुश
रह गयी अधूरी हैं अपनी कहानी क्या हो खुश
तलाशे थे जो क्या मिला तुम्हाइ क्या हो खुश
मिलो की अब दूरी हैं हो जहाँ भी तुम क्या हो खुश
मिलो की अब दूरी दूरी दूरी
तेरे आज़ाद ख़यालों मैं, तेरी बातो से ही बाते थी अपनी
तुम ही अब घूम की वजह तुम ही तो थी खुशी
रोके ना रुकोगे तुम बांधे ना बांधोगे इतनी तो थी खबर,
छोड़ोगे तोड़ के दिल बस यह ना था पता
मोके हज़ारों थे मिले (मोके हज़ारों थे मिले)
ना जाने फिर क्यों खो गये (ना जाने फिर क्यों खो गये)
मिलो की अब दूरी हैं हो जहाँ भी तुम क्या हो खुश
रह गयी अधूरी हैं अपनी कहानी क्या हो खुश
तलाशे थे जो क्या मिला तुम्हाइन क्या हो खुश
मिलो की अब दूरी हैं हो जहाँ भी तुम क्या हो खुश
मिलो की अब दूरी हैं हो जहाँ भी तुम क्या हो खुश
रह गयी अधूरी हैं अपनी कहानी क्या हो खुश
तलाशे थे जो क्या मिला तुम्हाइन क्या हो खुश
मिलो की अब दूरी हैं हो जहाँ भी तुम क्या हो खुश
मिलो की अब दूरी हैं हो जहाँ भी तुम क्या हो खुश
रह गयी अधूरी हैं अपनी कहानी क्या हो खुश