तू है जिस ने मुझे चलना सिखाया
गिर के उठना, उठ के सँभलना सिखाया
कभी लोरी बन के, कभी थपकी बन के
कभी नींद मीठी सी, कभी सपने जैसी
तेरी गोद में आँखें ख़ुली, ओ माँ मेरी
सब से प्यारी दुनियाँ में है माँ मेरी
मेरी हर ख़ुशी से मुसकान तेरी
मैं सुकून तेरा, मैं जान तेरी
कभी डाँट बन के, कभी दुलार बन के
कभी बिजली जैसी, कभी बदली जैसी
प्यार की बौछार सी माँ मेरी
सब से प्यारी दुनियाँ में है माँ मेरी
मेरे सपनों को सवारती है माँ मेरी
ज़िंदगी की धूप में और आँधियों में
साया बनकर साथ रहती माँ मेरी
ख़ामोश रहकर, कभी आवाज़ बनकर
थामे हुए है घर की छत को माँ मेरी
सब से प्यारी दुनियाँ में है माँ मेरी