फिर मोहब्बत करने चला है तू
अक्सर वहाँ से हाँ मैं हूँ गुज़रा
तू मुझको मिल जाए क्या पता...
फिर मोहब्बत करने चला है तू
फिर मोहब्बत करने चला है तू
फिर क्यूँ है दिल तेरे ही ख्वाब बुनता
पर ये भी मुमकिन हो ना सका.......
क्या है ये मामला, जानू ना, मैं जानू ना
फिर मोहब्बत करने चला है तू
फिर मोहब्बत करने चला है तू
फिर मोहब्बत करने चला है तू