वह भटका सा राही मेरे गाँव का ही
वह रास्ता पुराना जिसे याद आना
ज़रूरी था लेकिन जो रोया मेरे बिन
मगर अब ना मैं अपने घर का रहा वो ओ ओ
सफर का ही था मैं सफ़र का रहा
इधर का ही हूँ न उधर का रहा
सफर का ही था मैं सफ़र का रहा
इधर का ही हूँ ना उधर का रहा
सफर का ही था मैं सफ़र का रहा
प रा प रा पा प रा प रा प रा पा प रा पा
नी स ग म प प म ग प प म ग रे सा
नील पत्थरों से मेरी दोस्ती है
चाल मेरी क्या है राह जानती है जाने रोज़ाना
शहर शहर फुर्सतों को बेचता हूँ
खाली हाथ जाता खाली लौटता हूँ मैं तो रोज़ाना
रोज़ाना खुद से ए ए ए बेगाना
इतना कड़वा हो गया की ज़ेहर हुआ
न चाहा था यह हो जाना मैंने
पुरा पत्थरा सा रास्ता से गुजरता रहा हो ओ ओ
सफर का ही था मैं सफ़र का रहा
इधर का ही हूँ न उधर का रहा
सफर का ही था मैं सफ़र का रहा
इधर का ही हूँ ना उधर का रहा
सफर का ही था मैं सफ़र का रहा
दे ए ए दा रा ए ए दा रा ए ए दा रा ए ए
ए ए दा रा ए ए दा रा ए ए दा रा ए ए