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Lyrics
बाहर से कोई अंदर ना आ सके
अंदर से कोई बाहर ना जा सके
सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो
सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो
हम तुम
हम तुम एक कमरे में बंद हों
और चाबी ख़ो जाए
हम तुम एक कमरे में बंद हों और चाबी ख़ो जाए
तेरे नैनों की भूल भुलैया में बॉबी ख़ो जाए
हम तुम हम तुम एक कमरे में बंद हों और चाबी ख़ो जाए

आगे हो घनघोर अंधेरा
पीछे हो डाकू लुटेरा
आगे हो घनघोर अंधेरा पीछे हो डाकू लुटेरा
उपर भी जाना हो मुश्किल
नीचे भी आना हो मुश्किल
सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो
सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो
हम तुम
हम तुम कहीं को जा रहे हों
और रस्ता भूल जाएँ (ओहो)
हम तुम कहीं को जा रहे हों और रस्ता भूल जाएँ
तेरी बैंया के झूले में सैंया बॉबी झूल जाए
हम तुम और चाबी ख़ो जाए हम तुम और चाबी ख़ो जाए

WRITERS

DEV KOHLI, ISRAR ANSARI SUMAN SARI, RAAM LAXMAN

PUBLISHERS

Lyrics © Royalty Network

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