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Lyrics
बस चल कपट प्रपंच है
हर स्वार्थ का यह मंच है
बस चल कपट प्रपंच है
हर स्वार्थ का यह मंच है

यहाँ रक्त से मिटे है क्षोभ
लोभ मोह काम क्रोध
यहाँ रक्त से मिटे है क्षोभ
लोभ मोह काम क्रोध
रक्त से मिटे है क्षोभ
लोभ मोह काम क्रोध

यहाँ दोष भी निर्दोष है
प्यार में भी रोष है
बोलने में भी एक जोश है
इर्षा ही शब्दकोष है

हर्ज़ है मुस्कान में
विष घुला जुबां में
अशुद्धियाँ है ज्ञान में
मतलब है हर बयान में
यहाँ रक्त से मिटे है क्षोभ
लोभ मोह काम क्रोध
रक्त से मिटे है क्षोभ
लोभ मोह काम क्रोध

यहाँ भृकुटियां तनी हुई
हर बात है बनी हुई
षड़यंत्र से छानी हुई
जो झूठ में शनि हुई
यहाँ रक्त से मिटे है क्षोभ
लोभ मोह काम क्रोध
यहाँ रक्त से मिटे है क्षोभ
लोभ मोह काम क्रोध
रक्त से मिटे है क्षोभ
लोभ मोह काम क्रोध
बस छल कपट प्रपंच है
हर स्वार्थ का यह मंच है
बस छल कपट प्रपंच है
हर स्वार्थ का यह मंच है

WRITERS

SANDEEP CHOWTA, SANDEEP NATH

PUBLISHERS

Lyrics © Royalty Network

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