सपने मेरे.. खिलने..... लगे हैं
ख़ुशिया.. मेरे आँगन.. में आएं
हक़ीक़त में... आने लगे हैं
सपने मेरे.. खिलने..... लगे हैं
ख़ुशिया.. मेरे आँगन.. में आएं
प्यार की.. यें, बारिश में
मेरा दिल.. तुझे, चाहें रे
सपने मेरे.. खिलने..... लगे हैं
ख़ुशिया.. मेरे आँगन.. में आएं
तेरे हैं.. यें प्यार, का ज़ादू
यूँ मुझें.. पागल, न बनाये
ऐसे ही... होता हैं, साज़न
प्यार के... ये फूल जो, खिल गये
सपने मेरे.. खिलने..... लगे हैं
ख़ुशिया.. मेरे आँगन.. में आएं
हक़ीक़त में... आने लगे है
सपने मेरे.. खिलने..... लगे हैं
ख़ुशिया.. मेरे आँगन.. में आएं