ऐ मेरे दिल, ना फिर किसी से इश्क़ कर
ऐ मेरे दिल, ना उस गली से फिर गुज़र
ऐ मेरे दिल, ना फिर किसी से इश्क़ कर
ऐ मेरे दिल, ना उस गली से फिर गुज़र
ऐ मेरे दिल, ना फिर किसी से इश्क़ कर
ऐ मेरे दिल, ना उस गली से फिर गुज़र
मोहब्बत हो गई है फिर से शायद
मैं फिर से चांद को पाने चला हूं
बहुत रोया था जो इक बार कर
वही ग़लती मैं दोहराने चला हूँ
डूबी हुई दर्द में, अब के चली जो हवा
तू तो बिखर जाएगा काग़ज़ों की तरह
बात ये कल की तो है, याद नहीं क्या तुझे
आखों से ख्वाब गिरें, तू ना रोक सका
ऐ मेरे दिल, ऐ मेरे दिल तू मान जा
हद हो चुकी, हाँ, हो चुकी है इंतहा
ऐ मेरे दिल, ना फिर किसी से इश्क़ कर
ऐ मेरे दिल, ना उस गली से फिर गुज़र