बाल समय रवि भक्षी लियो तब
यह संकट काहु सों जात न टारो
(छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो)
को नहीं जानत है जग में कपि
को नहीं जानत है जग में कपि
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि
चौंकि महामुनि साप दियो तब
(कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु)
(सो तुम दास के सोक निवारो)
को नहीं जानत है जग में कपि
को नहीं जानत है जग में कपि
बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो
(हेरी थके तट सिन्धु सबे तब)
(लाए सिया-सुधि प्राण उबारो)
को नहीं जानत है जग में कपि
को नहीं जानत है जग में कपि
राक्षसी सों कही सोक निवारो
(चाहत सीय असोक सों आगि सु)
(दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो)
को नहीं जानत है जग में कपि
को नहीं जानत है जग में कपि
तबै गिरि द्रोण सुबीर उपारो
को नहीं जानत है जग में कपि
को नहीं जानत है जग में कपि
को नहीं जानत है जग में कपि
को नहीं जानत है जग में कपि
देबिन्हीं पूजि भली विधि सों बलि
देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो
अहिरावन सैन्य समेत संहारो
को नहीं जानत है जग में कपि
को नहीं जानत है जग में कपि
जो तुमसो नहिं जात है टारो
को नहीं जानत है जग में कपि
को नहीं जानत है जग में कपि
को नहीं जानत है जग में कपि
को नहीं जानत है जग में कपि
को नहीं जानत है जग में कपि
को नहीं जानत है जग में कपि
संकटमोचन नाम तिहारो (को नहीं जानत है जग में कपि)