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Lyrics
सोच के दायरों को
कभी तो पार कर
खुद की क़ैद से
खुद को आज़ाद कर

सोच के दायरों को
कभी तो पार कर
खुद की क़ैद से
खुद को आज़ाद कर
सपने उधार के
मन से निकाल दे
क्यों तू है जी रहा
लम्हे बेकार के
जी ले ज़रा
कर मनमानियां
क्यों दे रहा
तू कुर्बानियाँ
ज़िन्दगी सदा
मंज़िल ही नहीं

बुलायें तुझे

बुलायें तुझे
ये आज़ादियाँ
हो हो हो हो हो हो
हो हो हो हो हो हो

वक़्त की शाख से
कुछ लम्हे चुन ले
दुनिया से फुर्सत ले
कभी खुद की सुन ले
सपने उधार के
मन से निकाल दे
क्यों तू है जी रहा
लम्हे बेकार के
जी ले ज़रा
कर मनमानियां
क्यों दे रहा
तू कुर्बानियाँ
ज़िन्दगी सदा
मंज़िल ही नहीं
बुलायें तुझे
ये आज़ादियाँ

हो हो हो हो हो हो
हो हो हो हो हो हो
जी ले ज़रा
कर मनमानियां
क्यों दे रहा
तू कुर्बानियाँ
जी ले ज़रा
जी ले ज़रा
जी ले ज़रा
जी ले ज़रा

WRITERS

Ankit Kumar, Joshua Peter, Varun Rajput

PUBLISHERS

Lyrics © Songtrust Ave

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