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Lyrics
ऐ सरजमीं और एहले वतन
जिस मिट्टी में मैंने लिया जनम
आंच ना आने दूंगा
शीश ना झुकने दूंगा
कोई भी हो मुश्किल निकलेंगे हम

बारिशो में जलता मिशाल हे
एक दिया जो बेहिसाब हे
बारिशो में जलता मिशाल हे
एक दिया जो बेहिसाब हे
शान हे तिरंगा यारा
बस यही खवाब हमारा
आखरी हो तन पर मिटटी
कफ़न हो तिरंगा प्यारा
ऐ सरजमीं और एहले वतन
जिस मिट्टी में मैंने लिया जनम

ओ माई तुझसे बढ़कर कोई और नहीं
रंगदे चुनर खेलेंगे हम होली
तन खाख में भिगोकर

बोये उजाले हमने वही
उठे जहाँ अंकुर वही
झुके नहीं रुके नहीं
बढ़ते कदम

ऐ सरजमीं और एहले वतन
जिस मिट्टी में मैंने लिया जनम

ऐसे परवाने कहा मिलते हैं
जो शमा से न घबराएं
भारत मां के चरणों में
शीश चढ़ाने को मिट जाए

भूले नहीं हे अपनी शपत
खून से लिखेंगे आगे कपन
हौसलों से आगे बढ़े हम
मुश्किलों से बिना डरे
कमियों से बनकर उभरेंगे हम
आंच ना आने देंगे
शीश ना झुकने देंगे
कोई भी हो मुश्किल निकलेंगे हम
ऐसे परवाने कहा मिलते हैं
जो शमा से न घबराएं
भारत मां के चरणों में
शीश चढ़ाने को मिट जाए
ऐसे परवाने कहा मिलते हैं
जो शमा से न घबराएं
भारत मां के चरणों में
शीश चढ़ाने को मिट जाए ए वतन

WRITERS

Srijan

PUBLISHERS

Lyrics © Raleigh Music Publishing LLC

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