बाबा लौटा दे मोहे गुड़िया मोरी
ईमली की दार वाली मुनिया मोरी
आज अपने तमाशे पे महफ़िल को
जब तलक ना करें जिस्म से जान
मंज़ूर-ए-खुदा, मंज़ूर-ए-खुदा
मंज़ूर-ए-खुदा, मंज़ूर-ए-खुदा
टूटे सितारों से रोशन हुआ है
रूह तो मुद्दतों से आज़ाद है
वो शहरे आसमां में आबाद है
जिंदगानी का हमपे जो है क़र्ज़
जब तलक ना करें जिस्म से जान
मंज़ूर-ए-खुदा, मंज़ूर-ए-खुदा
मंज़ूर-ए-खुदा, मंज़ूर-ए-खुदा
टूटे सितारों से रोशन हुआ है
बाबा लौटा दे मोहे गुड़िया मोरी
इमली की डार वाली मुनिया मोरी