थोड़ा-थोड़ा तो ग़म हमको देदे ना
रह जाओगी, बाहों में मेरे?
ये ऐसी वैसी बातें नहीं हैं
यूं ही लिखते-गाते नहीं हैं
यूं ही तुझको सोचें सुबह-शब हम
यूं ही मुस्कुराते नहीं हैं
तू खुद को 'गर नजरों से मेरी
जो आँखों से आँखें मिलाएगी
जो सीने पे रखेगी हाथों को
तेरे नाम के ही प्याले हैं
थोड़ा-थोड़ा तो ग़म हमको देदे ना
रह जाओगी, बाहों में मेरे?
मेरी जान तू किताबों सी है
के मैं कह दूं "गुलाबों सी है"
के ये ख्वाहिश भी ख्वाबों सी है
तू दिल की नमाज़ों में देखेगी
के हर एक दुआ भी तो तेरी है
तू हंस के अगर मांग लेगी जो
के लेले ये जान भी तो तेरी है
के कैसा नशा भी ये तेरा है?
के कैसी बीमारी ये मेरी है?
के लिखने में हो गए हैं माहिर हम बारे में तेरे
थोड़ा-थोड़ा तो ग़म हमको देदे ना
रह जाओगी, बाहों में मेरे?
थोड़ा-थोड़ा तो ग़म हमको दे दे ना
रह जाओगी, बाहों में मेरे?